❝ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा न खोए औरो को शीतल करे आपन शीतल होए |❞
Category : Motivational
By : User image Anonymous
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31 May 15

एक बेटा अपने वृद्ध पिता को रात्रि भोज के लिए एक अच्छे रेस्टॉरेंट में लेकर गया।

 खाने के दौरान वृद्ध और कमजोर पिता ने कई बार भोजन अपने कपड़ों पर गिराया।

 रेस्टॉरेंट में बैठे दुसरे खाना खा रहे लोग वृद्ध को घृणा की नजरों से देख रहे थे लेकिन वृद्ध का बेटा शांत था।

 खाने के बाद बिना किसी शर्म के बेटा, वृद्ध को वॉश रूम ले गया। उसके कपड़े साफ़ किये, उसका चेहरा साफ़ किया, उसके बालों में कंघी की, उसे चश्मा पहनाया और फिर बाहर लाया।

 सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे।

 बेटे ने बिल पे किया और वृद्ध के साथ बाहर जाने लगा। तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने बेटे को आवाज दी और उससे पूछा---" क्या तुम्हे नहीं लगता कि यहाँ अपने पीछे तुम कुछ छोड़ कर जा रहे हो ?? "

 

बेटे ने जवाब दिया---" नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़ कर नहीं जा रहा। "

 

वृद्ध ने कहा---" बेटे, तुम यहाँ छोड़ कर जा रहे हो, प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा (सबक) और प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद (आशा)। "


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