❝जब गुस्सा आये तब कोई " फैसला " मत करना.. और जब बहुत खुश हो तब कोई "वादा "मत करना..❞
Category : Biography
By : User image Jaimahesh Team
Comments
0
Views
390
Posted
15 Mar 19
Swami Vivekanand Biography - स्वामी विवेकानन्द जीवनी

स्वामी विवेकानन्द जीवनी | Swami vivekanand Biography

( जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी । )

स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 में हुआ था । स्वामी विवेकान्द का बचपन का नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। वे केवल सन्त ही नहीं, एक महान देशभक्त, वक्ता, विचारक, लेखक, समाज सुधारक और मानव प्रेमी भी थे । इनके जन्म दिन को आज भी पुरे देश में “राष्ट्रीय युवा दिवस” के रूप में माने जाता है । इनके गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था ।

जन्म 12 जनवरी 1863 
जन्म स्थान कोलकाता
मृत्यु 4 जुलाई 1902 
मृत्यु स्थान बेलूर, पश्चिम बंगाल, भारत
जीवनकाल 39 वर्ष
विवाह अविवाहित
गुरु रामकृष्ण परमहंस
पिता विश्वनाथ दत्त

स्वामी विवेकानन्द का प्रारम्भिक जीवन काल

  • 1. उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था । वे कलकत्ता हाईकोर्ट में वकील थे । उन्हें अंग्रेजी और फारसी भाषा में भी अच्छी समझ थी ।
  • 2. उनकी माता नाम भुवनेश्वरी देवी था । जिन्हें अंग्रेजी भाषा की भी काफी अच्छी समझ थी। इसके साथ ही वे प्रतिभाशाली और बुद्धिमानी महिला थी ।
  • 3. उनके माता और पिता दोनों धार्मिक प्रवति के थे इसीलिए उनके घर में पूजा अर्चना होती रहती थी ।
  • 4. उनकी माता शिव भक्त थी । रामायण और महाभारत में काफी अच्छा ज्ञान प्राप्त किया था ।
  • 5. 1884 में उनके पिता का देहांत हो गया था और उनके 9 भाई बहनों की जिम्मेदारी उनपे आ गयी थी | लेकिन वो इस जिम्मेदारी से घबराए नहीं बल्कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बहुत अच्छे से निभाई ।
  • 6. स्वामी विवेकानन्द अतिथि सेवी थे | वह स्वयं भूखे रहकर अतिथि को भोजन करते थे ।

स्वामी विवेकान्द जी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

बचपन से ही विवेकानंद प्रखर बुद्धि के थे जिसकी वजह से उन्होनें 3 साल का कोर्स एक साल में ही पूरा कर लिया। वेद, उपनिषद भगवद् गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के अतिरिक्त अनेक हिन्दू शास्त्रों में गहन रूचि थी ।

उनका अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के प्रति अनन्य प्रेम और निष्ठा प्रेम था । वह सच्चे गुरु भक्त थे | साल 1883 में उनके द्धारा शिकागो, अमेरिका में आयोजित हुए विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया ।

उन्होंने इस भाषण की शरुआत “मेरे अमेरिकी भाइयो और बहनों” के साथ शुरू की थी | जो की सबको बहुत पसंद आया ।

विश्व धर्म सम्मेलन में दिए गए भाषण को आज भी लोगों ने याद रखा हुआ है. उस समय उनकी उम्र मात्र 30 वर्ष की थी ।

स्वामी विवेकानन्द जी ने न सिर्फ हिन्दू धर्म का गौरव बढ़ाया बल्कि पुरे विश्व में भारतीय संस्कृति और सभ्यता का परचम लहराया ।

विवेकानंद जी के विचारों में वह क्रांति और तेज था, जो सारे युवाओं को नई चेतना और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता था ।

जब भारत अंग्रेजो का गुलाम था और उनके जुल्म सह रहा था, तब विवेकानन्द जी ने समाज के लोगो को जगाया और उनमे नई ऊर्जा का संचार किया ।

स्वामी जी को यु्वाओं से बड़ी उम्मीदें थीं । उनके विचार और आदर्श आज भी लोगो के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बने हुए हैं। 

25 साल की उम्र में अपने गुरु से प्रेरित होकर उन्होंने सांसारिक मोह माया त्याग कर सामाज की भलाई के लिए सन्यासी बन गये थे ।

स्वामी विवेकानन्द अपनी आखिरी सांस तक समाज की भलाई के लिए काम करते रहे ।

गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने एक बार कहा था यदि आप भारत को जानना चाहते हो तो विवेकानन्द को पढ़िये । उनमें आप “उनमे कुछ सकारात्मक ही पायेंगे, नकारात्मक कुछ भी नहीं” ।

स्वामी विवेकानन्द के अनुसार भारत भूमि ही यह वह भूमि है जहाँ बड़े बड़े महात्माओं और ऋषियों का जन्म हुआ था ।

यही संन्यास एवं त्याग की भूमि है ।

 

स्वामी विवेकानन्द जी के शिक्षा के बारे में तथ्य -

स्वामी विवेकानन्द अंग्रेजी शिक्षा के खिलाफ थें | क्योंकी अंग्रेजी शीक्षा उन्हें अव्यावहारिक  लगती थी ऐसी शीक्षा होनी चाहिए जो व्यावहारिक हो | बच्चों के वास्तविक जीवन में काम आती हो । वे व्यावहारिक शिक्षा को व्यक्ति के लिए उपयोगी मानते थे ।

वह ऐसी शिक्षा चाहते थे जिससे बालक का मानसिक और शारीरिक विकास हो सके । शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी बनाना होना चाहिए ।

शिक्षा –

1871 - ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपोलिटन संस्थान में प्रवेश

1879 - प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता में प्रवेश

1880 - जनरल असेम्बली इंस्टीट्यूशन में प्रवेश

1881 - ललित कला की परीक्षा उत्तीर्ण की,

1884 - बी. ए. परीक्षा उत्तीर्ण

 

स्वामी विवेकानन्द के विचार -

  • जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है. ''जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो. सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं.''
  • जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते ।
  • दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो. ।
  • आत्मा ही आपकी सबसे बड़ी गुरु है ।
  • लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं इस चीज से ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि आप अपने बारे में क्या राय रखते हैं ।
  • क्योंकि आपको आप से बेहतर कोई ओर नहीं समझ सकता ।

Read more motivational quotes of Swami Vivekanand.


2
0

View Comments :

No comments Found
Add Comment